भक्तिमार्ग के आधिदैविक सूर्य, अग्निस्वरुप , श्रीवल्लभप्रियास्वरुप , प्राणवल्लभ , उभयस्वरुप ,श्रीप्रभुजी श्रीप्रियाजी के विरहाग्निस्वरुप्,श्री कृष्णकृष्णा स्वरुप ,सदा निकूंजन की लीला में बिराजवे वारे ,प्रभु ईच्छा सूं ही भूतल पर पधारवे वारें । लीला के जीवन कूं शरण में लेवे वारें । पुष्टिलीला को अनुभव करायवें वारे । कृष्ण सेवा की रीत-प्रीत प्रकट करवें वारे । श्रीजी कूं प्रकट करिवे वारे । श्रीयमुनाजी को महात्म्य बतायवे वारे । श्रीगिरिराजजी तथा व्रज को स्वरुप प्रकट करिवें वारे । श्रीभागवत्त को गूढ अर्थ प्रकट करिवे वारे । मायावादीन् कूं परास्त करिवे वारे,पृथ्वी कूं पावन करिवे वारे ।तीर्थन् कूं सनाथ करिवे वारे ।अनेक ग्रंथन् कूं प्रकट करिवे वारे, व्रजभक्तन् कों भाव-प्रेम बतायवें वारे । अदेयदान देवे वारे,स्मरण मात्र सूं ताप कूं हरवे वारे,सदा मेरे हृदय मे बिराजवे वारे, ऐसे मेरे प्रिय महाप्रभु श्रीवल्लभ है ।लेखक- आचार्यश्री विजयकुमारजी महाराजश्री{कडी-अहमदाबाद्}

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