
इसलिये सदा सर्वदा कोई अन्य आग्रह न रखते हुए केवल सत्संग का ही आग्रह रखनें से अलौकिक अभी शुभगुणोंकी वृध्दि होना आरंभ हो जाता है।हमारे महान महनुभावों नें सत्संग को आत्मसात करके अनुभव किया है। ओर कहा है कि सत्संग नियन अवश्य बनाना चाहिए। इससे ही सदगुणों की खान प्राप्त होगी। मलिनता दूर होगी,कोमलता प्राप्त होगी,सब काम करनें से पूर्व भगवदकार्य पहले करनें की भावना की जागृति सदा रहेगीं, थोडी देर के भी एकाग्रता से सत्संग करने से जीवन में बदलाव आ सकता है। जीने के लिये जल की आवश्यकता रहती है। उसी प्रकार आत्मा को पोषण देने हेतु सत्संग की आवश्यता रहती है। उसी प्रकार आत्मा को पोषण देने हेतु सत्संग की आवश्यता है।
इसलेख को पढकर जो सत्संग का आग्रह रखकर सत्संग नियम से करेंगे।उस पर श्रीवल्लभ की कृपादृष्टि सदा रहेगी,ओर वह जीव प्रभु-प्रिय हो जायगा, इस में कोई शंका नही है।
लेखक- आचार्यश्री विजयकुमारजी महाराजश्री{कडी-अहमदाबाद्}